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संविधान बदल देना चाहिए ?

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By MANJEET SINGH आजकल देश में एक विशेष सोच द्वारा दबी आवाज में भारतीय संविधान को बदलने की वकालत की जाती है। उसी सोच का नतीजा है कि आज देश के वे अनपढ़ लोग लोग whatsapp University से ज्ञान लेते है , इस बात का समर्थन करते है।--  जरूर पढियेगा मेरा यह लेख -  आज यानी 26 November को संविधान दिवस। आज ही के दिन 1949 को भारत मे विश्व के सबसे बड़े संविधान को अंगीकृत यानी adopt किया था। इस वर्ष का संविधान दिवस खास है, खास इसलिए है क्योंकि आज भारतीय संविधान को अपनाये हुए 70 साल पूरे हो चुके है। लेकिन आज इस बात पर चर्चा करना जरूरी है कि क्या उस संविधान को सरकारों द्वारा follow किया जा रहा? जिन अधिकरो मे संविधान ने भारतीय नागरिक को आवाज दी है क्या वो आवाज सुनी जा रही है या नही ? जिस देश की कल्पना सविधान निर्माताओं ने इस संविधान में की थी क्या यह आज का नया भारत वही भारत है? इस तरह के न जाने कितने ही सवाल है जो हमारे ओर आपके मन मे आते होंगे! इस पर सबका अपना अपना मत जरूर होगा लेकिन आज में बात उस सोच की कर रहा हूं जो में नफरत फैलाने का काम कर रही है। संविधान दिवस के अवसर पर मोदीजी संविधान बदल

मै ऐसे धर्म का बहिष्कार करता हूं जो मानव को मानव न समझे! (सरकाघाट प्रकरण)

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Written by - MANJEET SINGH मानव कभी कबार इतना नीचे गिर जाता है जब उसके मानव होने पर सवाल उठ खड़े होते है ! जब मानव ये भूल जाता है कि वो मानव है और हैवान बन जाता है तो यह यह सवाल अपने आप उठता है मानव अब मानव नही रहा! मैं ऐसा क्यों कह रहा हूं! आप मेरे इस लेख को पढिये आपको सवालो के जवाब मिल जायेंगे।  एक वीडियो धड़ाम से पूरे हिमाचल में viral हो रहा है। यह वीडियो किसी celebrity का या किसी politician का नही। यह वीडियो है एक लाचार, बेबस ओर असहाय महिला का। जो जीवन की चुनोतियों का सामना करते हुए अपना जीवन यापन करती है।  दरसल यह घटना सरकाघाट के सम्हाल गाँव की है। जहां एक 80 वर्षीय महिला को कुछ झोला छाप तांत्रिको के कहने पर प्रताड़ित किया जाता है ओर उसे डायन बताकर उसके मुंह पर कालिक पोथी जाती है। गले मे जूतो की माला पहनाकर नंगे पांव उस वेबस महिला को सारे गांव में घसीटते हुए घुमाया जाता है। यही नही उसके बालो को भी काटा जाता है। इस वीडियो को देखकर आपका खून जरूर ख़ौला होगा। आप सोचकर देखिये जब महिला के साथ ये सब हो रहा होगा तब महिला के दिल पर क्या बीत रही होगी। महिला उन उन दरिंदो को

भारतीय लोकतंत्र की दयनीय हालत में मीडिया की भूमिका !

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Written by - Manjeet singh  भारतीय लोकतंत्र आज चुनौतियों से जूझ रहा है।  जिन लोकतान्त्रिक सिधान्तो को संजोकर लोकतंत्र बनता है आज वही संकट है। विरोधो आवाजों को सरकारों द्वारा दबाया जा रहा है जिसमे हमारा मीडिया  सरकार का भरपूर साथ दे रहे है। जरूर पढ़ें मेरा यह लेख सरकार की गुलामी करता भारतीय मीडिया।   देश में हर वक्त कोई न कोई मुद्दा गरमाया होता है और तमाम Media houses दिन रात उस मुद्दे पर Table बजा रहे होते है और जोर जोर से गला फाड रहे होते है, मानो देश मे प्रलय आ रहा हो और वे उस प्रलय से देश को बचाना चाहते हो। इनको देखर ऐसा लगता है यदि ये गांधी के युग मे जन्मे होते तो 5 या 10 सालो में ही भारत आज़ाद हो जाता और महात्मा गांधी और तमाम क्रांतिकारियों को  अपने जीवन की कुर्वानी नही देनी पड़ती !   मैं ग़रीबी, बेरोजगारी, गिरती अर्थव्यवस्था, लीनचिंग, सामाजिक न्याय, महिलाओं पर बढ़ते अपराध, दलितों और आदिवासियों का शोषण जैसे बेकर के मुद्दों की बात नही कर रहा। मैं बात कर रहा हूँ  राम मंदिर, हिन्दू - मुस्लिम, कश्मीर, पाकिस्तान , जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों की जिनको हमारा मीडिया बड़ी मज़बूतई से उ

चुनाव आयोग या बीजेपी आयोग.....!

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                     चुनाव आयोग या बीजेपी आयोग.....!

आखिर क्यों बड़ रहे कश्मीर में आतंकी हमले !

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' प्यार दुश्मनो को भी दोस्त बना देता है' आपने यह बात कई बार सुनी होगी। पर मैं आज ये बात क्यों कह रहा हू! पुलवामा में जो हुआ वो निदनीय है और उसका हमसब को दुख है। लेकिन इस attack के बाद जिस तरह social media में नफ़रत की बाढ़ आयी वो निदनीय है। उसने उन वीर शहीदों की शहादत को कलंकित किया जिन्होंने देश की एकता व अखंडता की रक्षा के लिए अपनी जान की कुर्वानी दे दी। लेकिन उसी एकता को मजहबी चोला पहनाया जा रहा है। पूरे देश के अंदर लोग मुस्लिम समुदाय को गालियां दे रहे, उनका बहिष्कार कर रहे। कई जगह तो हमने देखा कि कश्मीरी छात्रों को पीटा गया।    जिसको किसी भी हालत में ठीक नही ठहराया जा सकता। आखिर क्यों कश्मीर में आतंकी हमले लगातार बढ़ रहे है ? -- इसका सबसे बड़ा कारण है अपने ही लोगो से नफ़रत।    पूरे देश के अंदर पिछले कुछ सालो से ऐसा माहौल बनाया जा रहा है जिसमे लोगो को धर्म के नाम पर बांटा जा रहा। पूरे देश मे इसी उन्माद के चलते अनेको दंगे हुए, बेगुनाहों ने अपनी जान गवाई। अब कश्मीर पर नज़र दौड़ाते है -  देश में सरकार चाहे किसी की भी रही हो सबने कश्मीर को केवल अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने क